सुधी पाठकों ! वेद-सार में संस्कृत में लिखे मंत्र वेदों और वेदों पर आधारित पुस्तकों से लिए गए हैं .फिर भी ट्रांस लिट्रेसन के कारण छोटी मोटी त्रुटि संभव है . वेद मन्त्रों के अर्थ संस्कृत के बड़े बड़े विद्वानों द्वारा किये गए अर्थ का ही अंग्रेजीकरण है . हिंदी की कविता मेरा अपना भाव है जो शब्दशः अनुवाद न होकर काव्यात्मक रूप से किया गया भावानुवाद है . इस लिए पाठक इस ब्लॉग को ज्ञान वर्धन का साधन मानकर ही आस्वादन करें . हार्दिक स्वागत और धन्यवाद .



Saturday, September 18, 2010

विवाह संस्कार मंत्र

 
ओम् गृभ्णामि ते सौभगाय हस्तं , मया पत्य जरदाष्टि: यथा असः ।
भग अर्यना सविता पुरन्धिः मह्यं त्वा अदुः गार्दपत्याय देवः ।
अथर्व : १४.१.५०
 
While holding the hand of the bride the bridegroom says-
I hold thy hand for enhancing fortunes for both of us . We live together till our old age. All the elders of our society, respectable people, good and noble people have blessed us to live together with happiness and prosperity as husband and wife.
 
 
आज से हम एक हैं प्रिय , आज से हम एक 
अब तलक थे रास्ते अपने अलग 
रास्ते अब एक हैं प्रिय ,रास्ते अब एक !
 
तुम मेरी पत्नी हो कहता शान से 
ग्रहण करता हूँ तुम्हे सन्मान से 
तुम बनो, देवी , मेरा सौभाग्य अब 
भाग्य अपने एक हैं प्रिय, भाग्य अपने एक !
 
खुशबुओं से यूँ हमारा बाग़ महके 
है मिला आशीष , खुशियाँ यूँ ही चहके 
अब जवानी से बुढ़ापा साथ हैं हम 
अंत तक हम एक हैं प्रिय , अंत तक हम एक  ! 
 
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