सुधी पाठकों ! वेद-सार में संस्कृत में लिखे मंत्र वेदों और वेदों पर आधारित पुस्तकों से लिए गए हैं .फिर भी ट्रांस लिट्रेसन के कारण छोटी मोटी त्रुटि संभव है . वेद मन्त्रों के अर्थ संस्कृत के बड़े बड़े विद्वानों द्वारा किये गए अर्थ का ही अंग्रेजीकरण है . हिंदी की कविता मेरा अपना भाव है जो शब्दशः अनुवाद न होकर काव्यात्मक रूप से किया गया भावानुवाद है . इस लिए पाठक इस ब्लॉग को ज्ञान वर्धन का साधन मानकर ही आस्वादन करें . हार्दिक स्वागत और धन्यवाद .



Wednesday, February 16, 2011

सम समाज

ओम् अज्येष्ठास: अकनिष्ठासः ऐते सं भ्रातरः वावृधुः सौभगाय I 
युवा पिता स्वप रुद्रः एषाम् सुदुघा प्रश्नि: सुदिना मरुद्भ्यः II 
                                                                                        ऋग - ५.६०.५

None is big, none small ,all are equal as brothers and all together move on for prosperity. The youth of the society is like its leader. He is self dependent. He is powerful. He will bring the good fortunes for the society with his enterpreneurship and efforts .

एक है सब कौन छोटा या बड़ा है
ईश ने सबको बराबर ही गढ़ा है

हैं सभी भाई , सहोदर हो न हो सब
सामूहिक समृद्धि का ताना जुड़ा है

जो युवा है , मेहनती है , करमचित है
अपनी कर्मठता से वो आगे बढ़ा है  

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