सुधी पाठकों ! वेद-सार में संस्कृत में लिखे मंत्र वेदों और वेदों पर आधारित पुस्तकों से लिए गए हैं .फिर भी ट्रांस लिट्रेसन के कारण छोटी मोटी त्रुटि संभव है . वेद मन्त्रों के अर्थ संस्कृत के बड़े बड़े विद्वानों द्वारा किये गए अर्थ का ही अंग्रेजीकरण है . हिंदी की कविता मेरा अपना भाव है जो शब्दशः अनुवाद न होकर काव्यात्मक रूप से किया गया भावानुवाद है . इस लिए पाठक इस ब्लॉग को ज्ञान वर्धन का साधन मानकर ही आस्वादन करें . हार्दिक स्वागत और धन्यवाद .



Friday, November 25, 2011

मोक्ष - प्रार्थना


औम् नमः शम्भवाय च मयोभवाय च 
नमः शङ्कराय च  नमः शिवाय च शिवतराय च !! 
-यजु : १६/४१ 

We offer our devotion to him who is ultimate happiness, provider of happiness , who helps us in doing good deeds, who is auspicious and who can provide us the bliss of Moksha - the liberation from the cycle of life and death .

हे देव पिता दाता दानी 
कर लो स्वीकार यह नमस्कार 
सुन लो अब यह व्याकुल वाणी 

तुममे सुख है , तुम ही सुख हो 
तुमसे सुख है तुम चिर सुख हो 
हमको कुछ छींटे मिल जाए 
तेरी किरपा ही है फुहार 

मैं जग माया में फंसा हुआ 
स्वारथ के दल में धंसा हुआ 
इस दलदल से मुझको निकाल
भेजो मुझको अब मोक्ष द्वार  

Thursday, November 24, 2011

सरस्वती उपासना


औम् पावक नः सरस्वती याजेभिर्वाजिनीवती यज्ञं वष्टु धिया वसुः !!
औम् चोदयितृ सूनृतानाम्  चेतयति सुनतीनाम ! यज्ञं दधे सरस्वती !!
औम् अहो अर्णः सरस्वती प्रचेतयति केतुना ! धियो विश्वास विराजति !! 
- यजु : २०/८४ 

Saraswati , the goddess of knowledge, the purifier, Great in her power of knowledge , with intellect as her treasure may grace our knowledge !
Inspirer of truthful and sweet speech, instigator of excellent thoughts, may Saraswati uphold our dedicated life of sacrifice!
Sarswati is like a great ocean of knowledge. Whatever we know is an iota of the immeasurable knowledge existing in the world. Our knowledge is worthy only due to being a part of universal knowledge !

हे सरस्वती ज्ञान की देवी 
बुद्धि की विज्ञान की देवी
दान विद्या का हमें दे दो 
तू है विद्या दान की देवी 

प्रेरणा दो, बुद्धि दो हमको 
चेतना में वृद्धि दो हमको 
विद्वता सन्मान की देवी 
हे सरस्वती ज्ञान की देवी

बूँद जितना ज्ञान है मेरा 
जलधि सा भण्डार है तेरा 
ज्ञान गुण की खान की देवी  
हे सरस्वती ज्ञान की देवी

Tuesday, November 8, 2011

भय रहित जीवन


औम अभयं नः करति अन्तरिक्षं  अभयं ध्यावापृथिवी उभे इमे   !
अभयं पश्चात् अभयं पुरस्तात् , उत्तरात्, अधरात्, अभयं नः अस्तु !!
औम अभयं मित्रात् ,अभयं अमित्रात्, अभयं ज्ञातात्, अभयं परोक्षात !
अभयं नक्त्मभयं दिव नःसर्वाः आशाः मम मित्रं भवन्तु !!
 अथर्व  १९/१५/५

May we be fearless ! Fearless from the heaven ! Fearless of the earth ! May we not have fear from what is in our front or behind ; from top or below ! Fearless from friends ! Fearless from enemies ! Fearless of known ! Fearless of unknown ! Fearless at day ! Fearless at night ! Hey God, we may conquer the fear in all possbile forms.   

भय रहित जीवन रहे यह कामना है
हर समय प्रभु हाथ तेरा थामना है

ना डरे हम तो किसी भूचाल से
ना डरे आकाश  से पाताल  से
डर हमें ना हो दिशाओं से कभी
डर ना हो हमको ग्रहों की चाल से

भय से हों निर्भय यही बस कामना है
हर समय प्रभु हाथ तेरा थामना है

डर ना हो हमको किसी भी बात का
ज्ञात का या फिर किसी अज्ञात का
मित्र से डर हो ना हमको शत्रु से
दिवस का डर हो ना काली रात का

भय के ऊपर हो विजय यह चाहना है
हर समय प्रभु हाथ तेरा थामना है  

Sunday, November 6, 2011

श्रृष्टि का आरम्भ


औम ब्रह्म जज्ञानं प्रथमं पुरस्ताद्वि सीमतः सुरुचो वेन आवः I 
स बुधन्या उपमा अस्य विष्ठाः सतश्च योनिमसतस्च विवाह II 
सामवेद - ४/१/३/९  
 
In the begining, God created the universe. After setting its limits  God created the brilliant light. Then he created all those things which are present at this time and which are not even in existance today. He created men, women and various other species .
 
श्रृष्टि का आरम्भ है तुमने किया
ज्ञान का प्रारंभ भी तुमने किया
तुम हो रचनाकार इस ब्रह्माण्ड के
सूर्य का प्रकाश फिर तुमने किया
 
तुमने ही कितने बनाये जीव फिर
मनुज, पशु, पक्षी बनाये कीट फिर
जन्म और मृत्यु का ये फिर सिलसिला
कर्म के आधार पर तुमने किया