सुधी पाठकों ! वेद-सार में संस्कृत में लिखे मंत्र वेदों और वेदों पर आधारित पुस्तकों से लिए गए हैं .फिर भी ट्रांस लिट्रेसन के कारण छोटी मोटी त्रुटि संभव है . वेद मन्त्रों के अर्थ संस्कृत के बड़े बड़े विद्वानों द्वारा किये गए अर्थ का ही अंग्रेजीकरण है . हिंदी की कविता मेरा अपना भाव है जो शब्दशः अनुवाद न होकर काव्यात्मक रूप से किया गया भावानुवाद है . इस लिए पाठक इस ब्लॉग को ज्ञान वर्धन का साधन मानकर ही आस्वादन करें . हार्दिक स्वागत और धन्यवाद .



Sunday, November 6, 2011

श्रृष्टि का आरम्भ


औम ब्रह्म जज्ञानं प्रथमं पुरस्ताद्वि सीमतः सुरुचो वेन आवः I 
स बुधन्या उपमा अस्य विष्ठाः सतश्च योनिमसतस्च विवाह II 
सामवेद - ४/१/३/९  
 
In the begining, God created the universe. After setting its limits  God created the brilliant light. Then he created all those things which are present at this time and which are not even in existance today. He created men, women and various other species .
 
श्रृष्टि का आरम्भ है तुमने किया
ज्ञान का प्रारंभ भी तुमने किया
तुम हो रचनाकार इस ब्रह्माण्ड के
सूर्य का प्रकाश फिर तुमने किया
 
तुमने ही कितने बनाये जीव फिर
मनुज, पशु, पक्षी बनाये कीट फिर
जन्म और मृत्यु का ये फिर सिलसिला
कर्म के आधार पर तुमने किया 

1 comment:

  1. क्या कहूँ ईश्वर की महिमा है सब ....समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है

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