सुधी पाठकों ! वेद-सार में संस्कृत में लिखे मंत्र वेदों और वेदों पर आधारित पुस्तकों से लिए गए हैं .फिर भी ट्रांस लिट्रेसन के कारण छोटी मोटी त्रुटि संभव है . वेद मन्त्रों के अर्थ संस्कृत के बड़े बड़े विद्वानों द्वारा किये गए अर्थ का ही अंग्रेजीकरण है . हिंदी की कविता मेरा अपना भाव है जो शब्दशः अनुवाद न होकर काव्यात्मक रूप से किया गया भावानुवाद है . इस लिए पाठक इस ब्लॉग को ज्ञान वर्धन का साधन मानकर ही आस्वादन करें . हार्दिक स्वागत और धन्यवाद .



Tuesday, November 8, 2011

भय रहित जीवन


औम अभयं नः करति अन्तरिक्षं  अभयं ध्यावापृथिवी उभे इमे   !
अभयं पश्चात् अभयं पुरस्तात् , उत्तरात्, अधरात्, अभयं नः अस्तु !!
औम अभयं मित्रात् ,अभयं अमित्रात्, अभयं ज्ञातात्, अभयं परोक्षात !
अभयं नक्त्मभयं दिव नःसर्वाः आशाः मम मित्रं भवन्तु !!
 अथर्व  १९/१५/५

May we be fearless ! Fearless from the heaven ! Fearless of the earth ! May we not have fear from what is in our front or behind ; from top or below ! Fearless from friends ! Fearless from enemies ! Fearless of known ! Fearless of unknown ! Fearless at day ! Fearless at night ! Hey God, we may conquer the fear in all possbile forms.   

भय रहित जीवन रहे यह कामना है
हर समय प्रभु हाथ तेरा थामना है

ना डरे हम तो किसी भूचाल से
ना डरे आकाश  से पाताल  से
डर हमें ना हो दिशाओं से कभी
डर ना हो हमको ग्रहों की चाल से

भय से हों निर्भय यही बस कामना है
हर समय प्रभु हाथ तेरा थामना है

डर ना हो हमको किसी भी बात का
ज्ञात का या फिर किसी अज्ञात का
मित्र से डर हो ना हमको शत्रु से
दिवस का डर हो ना काली रात का

भय के ऊपर हो विजय यह चाहना है
हर समय प्रभु हाथ तेरा थामना है  

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