सुधी पाठकों ! वेद-सार में संस्कृत में लिखे मंत्र वेदों और वेदों पर आधारित पुस्तकों से लिए गए हैं .फिर भी ट्रांस लिट्रेसन के कारण छोटी मोटी त्रुटि संभव है . वेद मन्त्रों के अर्थ संस्कृत के बड़े बड़े विद्वानों द्वारा किये गए अर्थ का ही अंग्रेजीकरण है . हिंदी की कविता मेरा अपना भाव है जो शब्दशः अनुवाद न होकर काव्यात्मक रूप से किया गया भावानुवाद है . इस लिए पाठक इस ब्लॉग को ज्ञान वर्धन का साधन मानकर ही आस्वादन करें . हार्दिक स्वागत और धन्यवाद .



Sunday, February 5, 2012

ईश-कृपा


औम् उत्तेदानी  भगवन्तः स्याम उत  प्रपित्व उत मध्ये अन्हां !
उतोदिता मघवन्त सूर्यस्य वयं देवानां सुमतौ स्याम !!
यजु - ३४/३७ 

May we , now while praying to you, be in the divine blessing ; in the middle of the day also we may be in the divine blessing ; and the next day also when the sun rises your blessings may continue for us . May we be your loved ones and the blessed ones at all times . 

तेरी कृपा से दिन नया , कैसा उगा कैसा खिला 
वैसी कृपा हम पर भी कर , सौभाग्य के दीपक जला 

जब दिन का अगला पहर हो , और तप्त ये दोपहर हो 
तेरी दया की दृष्टी से . भीगे हमारा काफिला 

फिर दिन ढले फिर रात हो , फिर एक नया प्रभात हो 
फिर आपकी कृपा मिले , चलता रहे ये सिलसिला 

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