सुधी पाठकों ! वेद-सार में संस्कृत में लिखे मंत्र वेदों और वेदों पर आधारित पुस्तकों से लिए गए हैं .फिर भी ट्रांस लिट्रेसन के कारण छोटी मोटी त्रुटि संभव है . वेद मन्त्रों के अर्थ संस्कृत के बड़े बड़े विद्वानों द्वारा किये गए अर्थ का ही अंग्रेजीकरण है . हिंदी की कविता मेरा अपना भाव है जो शब्दशः अनुवाद न होकर काव्यात्मक रूप से किया गया भावानुवाद है . इस लिए पाठक इस ब्लॉग को ज्ञान वर्धन का साधन मानकर ही आस्वादन करें . हार्दिक स्वागत और धन्यवाद .



Tuesday, February 7, 2012

ईश्वर और हम


औम् सः नः बन्धुः जनित स विधाता धामानि वेद भुवनानि विश्वा !
यत्र देवः अमृतं आनशानाः तृतीये धमन्न ध्यैरयन्तः !! 

यजु - ३२/१० 

We are a part of him . He is the one who gives birth to us . He knows all the worlds that exist in the universe . This earth is for mortals . Those who are born and die are related to this earth. Those who cross over the cycle of birth and death are liberated and attain 'Moksha' - they become the residents of third loka . 

बन्धु  है, भ्रात  है, जन्मदाता तात है !

वह सदा सर्वज्ञ है , और 
तुच्छ हम अल्पज्ञ हैं 
वह अजर , वह अमर , वह पिता वह मात है !

विश्व है जीवन मरण , और 
मोक्ष है अंतिम चरण 
मुक्ति तो भोर है , मृत्यु काली रात है   ! 

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