सुधी पाठकों ! वेद-सार में संस्कृत में लिखे मंत्र वेदों और वेदों पर आधारित पुस्तकों से लिए गए हैं .फिर भी ट्रांस लिट्रेसन के कारण छोटी मोटी त्रुटि संभव है . वेद मन्त्रों के अर्थ संस्कृत के बड़े बड़े विद्वानों द्वारा किये गए अर्थ का ही अंग्रेजीकरण है . हिंदी की कविता मेरा अपना भाव है जो शब्दशः अनुवाद न होकर काव्यात्मक रूप से किया गया भावानुवाद है . इस लिए पाठक इस ब्लॉग को ज्ञान वर्धन का साधन मानकर ही आस्वादन करें . हार्दिक स्वागत और धन्यवाद .



Thursday, June 26, 2014

ईशोपनिषद मन्त्र -१०

अन्यदेवाहुः सम्भवादन्यदाहुरसम्भवात । 
इति शुश्रुम् धीराणां ये नस्त्द्विचचक्षिरे II 10 II 

अध्ययन करे इस सृष्टि का 
इस धरा का , और वृष्टि का 
जो खोजते आरोग्य को 
हर वस्तु  को हर भोग्य को 
उपदेश देकर ज्ञान का 
उपकार कर इंसान का 

अध्यात्म को कुछ मानते 
ईश्वर को जो पहचानते 
जो ढूंढते उस शक्ति को 
वो कर रहे तप  भक्ति को 
उपकार वो भी कर रहे 
कल्याण जग का कर रहे 

हैं रास्ते  दोनों सुनो 
तुम रास्ता जो भी चुनो 
इस लोक का कल्याण हो 
उस लोक की पहचान हो 
उपकार करना विश्व का 
कल्याण  करना विश्व का 

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